गीत रचना,,,,, जीवन एक पहेली,,,,,, गीतकार,,,,,,,,, देवेन्द्र तोमर,,,,,,,,,,,, जीवन एक पहेली भर है, काश हमें उत्तर मिल जाते। गंगाजली हाथ ले आए बनकर जाने कितने अपने सच के उजियारे में देखा निकले स्याह रात के सपने साथ नहीं गैरों का होता अपने तो कब के छल जाते। जीवन एक पहेली भर है, काश हमें उत्तर मिल जाते। तन मन शीतल करने वाली प्रतिदिन आई सर्द हवाएं संकल्पों के सेतु खड़ी थीं सिद्धि की सौ सौ ज्वालाएं साथ नहीं सूरज का होता तो जाने कब के गल जाते। जीवन एक पहेली भर है, काश हमें उत्तर मिल जाते। न्योछावर होते देखा है जाने कितने दीवानों को एक दिए की लौ पर मिटते जाने कितने परवानों को साथ नहीं शबनम का होता तो जाने कब के जल जाते। जीवन एक पहेली भर है, काश हमें उत्तर मिल जाते।